किसी भी बीमारी की जांच के लिए कई बातों का पता लगाना पड़ता है और छोटे-छोटे संकेत भी बड़ी जानकारी प्रदान कर देते हैं| मुर्गी पालन में भी पक्षी की आयु, दाने से लेकर पानी का स्रोत, दाना खाने की दर, वृद्धि, उत्पादन, बीमारी इन सब की जानकारी के साथ साथ टीकाकरण कार्यक्रम के विषय में मालूमात कई कठिनाइयों को हल कर देती है|
मुर्गीपालन में कई कठिनाइयां आती है जो उसके प्रबंधन, पर्यावरण कारक, और तनाव से जुड़ी होती हैं और कुछ स्थितियों में फार्म में संक्रमण आने से भी मृत्यु दर बढ़ जाती है| ऐसे में हमें यह देखना पड़ता है की पर्याप्त वेंटीलेशन है या नहीं, फार्म में अमोनिया तो जमा नहीं होने लगी, कहीं ज्यादा ठंडा या गर्म तो नहीं है, लिट्टर अधिक गीला या बहुत सूखा और धूल भरा तो नहीं है| कमरे में पर्याप्त लाइट है या नहीं? क्या पर्याप्त समय के लिए बिजली जलाई जा रही है? क्या पक्षी आराम दे वातावरण में हैं? पक्षियों के चहचहाने से और उनकी आवाज सुनकर आराम, भूख, दर्द, और तनाव का कुछ हद तक पता लगाया जा सकता है|
इसी कड़ी में एक कार्य पोस्टमार्टम भी आता है जिस में मरे हुए पक्षियों को देख कर उनके अंदरूनी अंगों का मुआयना करके बीमारी की जड़ तक पहुंचने की कोशिश की जाती है ऐसा करने से फार्म में आगे होने वाली मृत्यु को रोका जा सकता है और प्रबंधन में हो रही कमियों को दूर किया जा सकता है|
मरी हुई मुर्गी का निरीक्षण करने के लिए कुछ बुनियादी जानकारी का होना आवश्यक है वैसे तो पोस्टमार्टम किसी पंजीकृत वेटरनरी डॉक्टर से ही कराना चाहिए या फिर किसी ट्रेंड व्यक्ति से परंतु भारत में स्थिति कुछ अलग होती है क्योंकि यहां पर छोटे किसान 2000 से 5000 मुर्गियां तक पालते हैं और वेटरनरी सर्विसेज के अभाव के कारण उन्हें खुद ही समस्या का समाधान निकालना पड़ता है ऐसे में पोस्टमार्टम का तरीका सीखना किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है|
कुछ समस्याएं, (जैसे लंगड़ापन या Botulism जिसमें मुर्गियों की गर्दन में लकवा मार जाता है) जीवित पक्षी में बेहतर रूप से पता लगाई जा सकती हैं | सर, शरीर और टांगों की खाल का निरीक्षण किया जाता है जैसे जुएँ, किल्लियां, चोट, मोल्टिंग, सूजन, खाल का नीलापन या खाल पर रूसी का जमा होना|
ध्यान से सुनने पर कुछ असामान्य आवाज़े फ्लॉक में सुनी जा सकती हैं जैसे छींक, गर्गलिंग, खर खर आदि| बार बार लम्बी झमायी के लिए मुंह खोलना, सर को झटके देना, सांस लेने में होने वाली तकलीफ को दर्शाता है| आंख और नाक से द्रव्य का बहना और गंदे पंख भी सांस लेने के तंत्र के संक्रमण को दर्शाते हैं| मुर्गी की बीट को भी ध्यान से देखना चाहिए कि कहीं दस्त या और कोई समस्या तो नहीं है और बीट में खून को भी देखना चाहिए |
मुर्गी का पोस्टमार्टम
- सबसे पहले एक बाल्टी में निवाए पानी को डालें और थोड़ा सा कपड़े धोने का डिटर्जेंट पाउडर डालकर एक घोल बना लें और इसमें मुर्गी को दो या तीन बार भिगोकर निकाल ले
- इसके बाद सर, आंखें, कान, नाक, कलगी, मुंह, और चोंच का मुआइना करें
- इसके बाद चोंच को जड़ से (नथुनों के नीचे से) काटें और अन्दर मौजूद साइनस को देखें फिर आँखों के नीचे ब्लेड से कट लगायें और infraorbital साइनस को देखें|
- मुर्गी के मुह के किनारों से एक कट लगायें और इसोफेगस के क्रॉप तक काटते चले जाएँ इससे मुह के अन्दर का निरिक्षण करे|
- अन्दर से मुह में और खाने की नली में सफ़ेद रंग के छोटे छोटे दानो देखें अगर ऐसा दिखे तो पक्षी के पोषण में विटामिन A की कमी का आंकलन करें|
- क्रॉप निरिक्षण कर के देखें की उसमे लिट्टर के अवशेष तो नहीं है और उसका आकार कैसा है अधिक बड़ा या छोटा तो नहीं है |
- अब ऊपर से मांसपेशियों का निरिक्षण करे और देखें की उसकी ऊपर की खाल कहीं सड़ तो नहीं रही जैसा गैंगरीनस डर्मेटाइटिस में होता है|
- अब पंजो के नीचे की तली को देखें उसकी गन्दगी से फार्म में लिट्टर की साफ सफाई का अंदाज़ा लगायें| पंजो की खाल को देखें की कहीं बहुत रुखी तो नहीं है जो की बायोटिन और पेंटोथीनेट की कमी से देखने को मिलता है|
- फिर जोड़ देखें कहीं सूजे हुए तो नहीं हैं| जोड़ के ऊपर चीरा लगायें और जोड़ खोल कर उसके अन्दर का द्रव्य देखें| बड़ी हड्डी को एक सिरे से तोड़ें और उसका रंग देखे की तेज लाल है या फीका लाल| CIA और खून की कमी को उसमे देखा जा सकता है|
- टांग की हड्डी तोड़ कर देखें अगर चटाक की आवाज़ आये तो मतलब विटामिन D और कैल्शियम सही है यदि हड्डी रबड़ जैसी है तो विटामिन D की कमी होती है|
- पंजो का सही से मोआइना करे की कहीं वो मुट्ठी की तरह बंद तो नहीं हैं जैसा विटामिन B2 की कमी में देखने को मिलता है|
- छाती की मांसपेशियों को उठाएं अब किनारे से पसलियों तक कैंची से काटे| ऊपर आपको लिवर स्प्लीन, गिज़र्ड और वायु कोष दिखाई देंगे उनका सावधानीपूर्वक निरीक्षण करें|
- अब आंतो को निकालें और अलग कर लें| उसके बाद दिल को निकाल कर देखें| इन सब अंगों को अलग अलग करके ट्रे में रख लें
- अब सबसे पहले गिज़र्ड को खोल कर देखें की उसके अन्दर पर्याप्त ग्रिट है या नहीं और उसकी सख्त परत कैसी है और उसका रंग कैसा है|
- अब आंतो को कैंची से काटिए और साफ पानी से धो लें उसके बाद उसे किसी भी प्रकार के घाव के लिए देखिये|
- अब फेफड़े निकालें और उन्हें भी साथ में रख ले और उसका मुआइना|
- पोस्ट मोर्टेम में लीवर का बहुत महत्त्व है क्यूंकि लीवर से सबसे अधिक रासायनिक और मेटाबोलिक क्रियाएँ होती है इसलिये लीवर का आकार, साइज़, रंग, किनारों की बनावट, चिकनापन देखकर कई बीमारियों को समझा जा सकता है| जैसे इ.कोलाई और माईकोप्लाज़्मा के संक्रमण में लीवर पर एक सफ़ेद झिल्ली जम जाती है|
- इन सब अंगों का मुआयना करने के बाद किडनी को देखें और बीट करने की जगह के पास बरसा का निरीक्षण करें| आइए अब चित्रों के माध्यम से पोस्टमार्टम के तरीके को समझें|
- सबसे अंत में सर खोले और दिमाग को निकाल कर देखिए की सूजन या लाली तो नहीं है जो की संक्रमण की निशानी है|
- इन सब लक्षणों को नोट कर के किसी विशेषग्य या वेटरनरी डॉक्टर से उपचार हेतु परामश करें|
सांस लेने के तंत्र में संक्रमण को आंखों में देखा जा सकता है यह संक्रमण कई बीमारियों से होता है जैसे माइकोप्लाज्मा, कोराईज़ा, ILT, IB, रानीखेत आदि| Kerato-cunjuctivitis में आंखों की झिल्ली पर अल्सर के रूप में जख्म हो जाता है यह अत्यधिक अमोनिया के कारण होता है| फाउल कॉलरा में कलगी नीली हो जाती है| फाउल पॉक्स में कलगी, आँखों और मुह के अन्दर चेचक जैसे दाने हो जाते हैं| सर, गर्दन या छाती पर ज़ख्म किसी जानवर के हो सकते हैं| मुह और आँखों के चारो तरफ सूखी खाल और रुसी विटामिन B की कमी को दर्शाता है| |
मुर्गी के सर में पाए जाने वाले नथुनों के पीछे कुछ खाली जगह होती हैं जिसे साइनस कहां जाता कोराईज़ा नामक बीमारी में इनमें द्रव्य भर जाता है जिसकी वजह से यह बड़े हो जाते हैं और सर सूजा हुआ दिखाई देता है| |