जिन चूज़ों को ब्रूडिंग के लिए छोड़ा जा रहा है वो सब ही एक ब्रीडिंग स्टॉक से होने चाहिए |
अलग अलग ब्रीडर फार्म के चूज़े होने से उनकी वृद्धि एक सामान नहीं हो पाती और बीमारियाँ आने का खतरा भी अधिक रहता है |
जैसे ही चूज़े फार्म पर पहुंचे उन्हें तुरंत ब्रूडिंग एरिया में छोड़ देना चाहिए ध्यान रहे की ब्रूडिंग एरिया में 95 डिग्री फारहेनाईट टेम्परेचर पहले से बना हो. यदि चिक्स को ब्रूडिंग एरिया में छोड़ने में देर की जाएगी तो चूज़ों का निर्जर्लिकरण (डिहाइड्रेशन) होने लगता है| जिससे मोर्टेलिटी बढ़ जाती है और ग्रोथ रेट भी कम होती है| इस समय ट्रांसपोर्ट स्ट्रैस की वजह से इलेक्ट्रोलाइटस की कमी हो जाती है और एनर्जी लेवल भी गिर जाता है|
अक्सर लोग इसके लिए गुड़, नमक और सोडा लगाते हैं जो की चिक्स की नाज़ुक आंतो के हिसाब से काफी तेज़ होता है उसे नुकसान पहुंचाता है, गुड़ आँतों के अन्दर ई कोलाई को पनपने में भी मदद करता है और योक सैक डीज़ीज़ करता है. जैसा नीचे फोटो में दिखाया गया है.
इसके अलावा – नमक और सोडे से शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ने का खतरा रहता है और दूसरे इलेक्ट्रोलाइट जैसे पोटैशियम और bicarbonate कम होने लगते हैं और यदि बंद जगह में गैस ब्रूडिंग की जा रही हो तो दिक्कत और भी बढ़ जाती है क्यूंकि इससे फेफड़ो में ब्लड प्रेशर अधिक हो जाता है और खून की तेज़ाबियत बढ़ने लगती है जो मेटाबोलिक एसिडोसिस कहलाती है. जिससे चूज़े की ऑक्सीजन ग्रहण करने के क्षमता पर गहरा असर पड़ता है| यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस फ्री रेडिकल्स को जन्म देती है जो लंग्स की कोशिकाओं को तोड़ते हैं और इस स्ट्रैस बढ़ने से आगे चलकर एसईटिस की समस्या दिखाई देती है.
आप सब जानते हैं की ब्रीडर्स के पास से फार्मर्स तक आने में चूज़ों की क्या हालत होती है| क्यूंकि ब्रीडर्स को भी लाखो चूज़ों को सप्लाई करनी होता है इसलिए वो चाहे कितनी भी कोशिश करें स्ट्रैस से बचना असंभव होता है| ऐसी स्थिति में निर्जलीकरण होना अनिवार्य हो जाता है|
एक बात को समझने की आवश्यकता है वो ये की चूज़े का शरीर 80% पानी होता है, और शरीर में से जब पानी की कमी होती है तो केवल पानी नहीं निकलता बल्कि उसके साथ इलेक्ट्रोलाइट भी निकल जाते हैं इस स्थिति को नेगेटिव डाइटरी इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस कहते हैं मतलब शरीर में साल्टस का संतुलन बिगड़ जाता है| सिर्फ 10% डिहाइड्रेशन काफी व्यापक नुकसान कर सकता है| इसका असर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी पड़ता है जो कम हो जाती है और चूजा विभिन्न रोगजनक जीवाणुओं की चपेट में आ जाता हैं और योक सैक जैसी बीमारियाँ भी होने लगती हैं|
ऐसे में चूज़ों को कम से कम स्ट्रैस देना चाहिए| और पानी में सिर्फ नमक और गुड न देकर पोटैशियम इलेक्ट्रोलाइट, के साथ ब्लड बफ़र्स और एंटीओक्सिडेंट्स का भी इस्तेमाल करना चाहिए जिसके लिए इज़ी ब्रूड इस्तेमाल किया जाता जो मैं फार्मर्स को पिछले 6 सैलून से इस्तेमाल करवा रहा हूं और सैकड़ो फार्मर्स इससे संतुष्ट होने के बाद आपको बता रहा हु| किसानो को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए की सातवे दिन प्रति चूज़े पर 2 ग्राम का फर्क पेंतिसवे दिन पर 12 से 15 ग्राम का फर्क हो जाता है| जो प्रत्येक 1000 चूज़ों पर 12 किलो का फर्क बन जाता है|
इन्ही सब बातो को ध्यान में रखते हुए आपको 10 दिनों का दवाई शेड्यूल बताऊंगा (इन सभी दवाइयों को इनकी वेबसाइट से लिंक किया गया है आप इनपर क्लिक करके सीधे वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आर्डर कर सकते हैं).
सबसे पहले दिन जब चिक्स आये तो 1000 चिक्स पर उसे 70 ग्राम इज़ी ब्रूड और 50ml Vitaden मिला कर देना होता है यह एक दिन की डोज़ होती है अगले पानी में 30 ग्राम रेमीप्रो दिया जाता है जिससे आंतो के अन्दर प्रोबायोटिक बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं
इसके बाद अगले दिन दोबारा यही 70 ग्राम इज़ी ब्रूड (Easy Brood) और 50ml Vitaden मिला कर देना होता है और दूसरे दिन अगले पानी में 15 ग्राम अलकायु (Alcaeu) देना होता है
तीसरे दिन 100 ग्राम इज़ी ब्रूड (Easy Brood) और 60ml Vitaden पहले पानी में और दूसरे पानी में 15 ग्राम अलकायु (Alcaeu) देना होता है
चौथे दिन 75ml नेक्साम्युन (Nexamune) जो इम्युनिटी बढ़ाता है पहले पानी में दिया जाता है और दूसरे पानी में 15 ग्राम अलकायु (Alcaeu) देना होता है
पांचवे दिन पहले पानी में रानीखेत की वैक्सीन की जाती है इस पानी में कोई दवाई या सैनीटाईज़र नहीं मिलाया जाता वैक्सीन के बाद के पानी में दोबारा 75ml नेक्साम्युन (Nexamune) देना होता है वैक्सीन के दिन रात के पानी में 100 ग्राम रेमीप्रो (Remipro) देते हैं
छटे दिन हेपासोल डीएस (Hepasol DS) 100ml पहले पानी में और रात को 75ml Vitaden
सातवे दिन से बर्ड में अच्छी ग्रोथ दिखने लगती है और फीड इन्टेक बहुत बढ़ जाता है, तो अक्सर अधिक प्रोटीन इन्टेक के कारण सातवे दिन से गाउट का खतरा होता है तो 80g Goutster पहले पानी में और दूसरे पानी में 100ml पाईरोकैल बी (Pyrocal B) देना होता है
सातवे दिन आपके चिक्स का वेट 180 से 200 ग्राम के बीच होगा और मोर्टेलिटी 1000 में से 5 चिक्स या उससे कम होनी चाहिए,
आठवे दिन पहले पानी में 100ml हेपासोल डीएस (Hepasol DS) और दूसरे पानी में 100ml पाईरोकैल बी (Pyrocal B)
नॉवे दिन आंतो में जमा हो रहे इन्फेक्शन की सफाई करनी होती तो 60 ग्राम Septima पहले पानी में और दूसरे पानी 100ml पाईरोकैल बी (Pyrocal B)
दसवे दिन भी इन्फेक्शन की सफाई के लिए 70 ग्राम Septima पहले पानी में और दूसरे पानी में 100 ग्राम रेमीप्रो (Remipro)