मुर्गी पालन में लीवर के स्वास्थ का महत्त्व और उसकी देखभाल
मुर्गी के पेट में पाचन होने के बाद आंतो से पोषक तत्व खून में अवशोषित हो जाते हैं यह पोषक तत्व फिर शरीर के विकास और अन्य क्रियाओं के लिए काम आते हैं| पोषक तत्वों के साथ साथ कुछ अन्य ज़हरीले तत्व जैसे बैक्टीरिया, वायरस, माइकोटोक्सिन भी खून में जाने की सम्भावना रखते हैं| इसलिए शरीर में जाने से पहले यह खून लीवर नामक अंग में जाता है लीवर एक फ़िल्टर की तरह काम करता हैं और हानिकारक पदार्थो को आवश्यक पोषक तत्वों से अलग करता है| इसी तरह लीवर शरीर में विभिन्न रसायनिक क्रियाओं द्वारा बने विषैले हानिकारक पदार्थो को भी बदलता है जिससे वो शरीर के लिए हानिकारक नही रहते जैसे शरीर में बनने वाली अमोनिया को यूरिया और फिर यूरिक एसिड में बदल देता है|
तो मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है की लीवर शरीर में प्रवेश करने वाले ज़हर/विषैले पदार्थो (Toxins) को न्यूट्रल तत्वों में बदल देता है (जिसे detoxification कहा जाता है) जिससे वो शरीर को हानि नहीं पहुंचाते और किडनी या आंतो के रस्ते बहार निकल जाते हैं| परन्तु लीवर की detoxification करने की एक क्षमता होती है और अत्यधिक कार्य करने पर लीवर में विकृतियाँ आने लगती हैं जैसी विभिन्न बिमारियों में देखने को मिलती हैं| यहाँ पर उद्धरण के तौर पर इस बात पर गौर किया जा सकता है की पोल्ट्री में माइकोटोक्सिन (mycotoxins/aflatoxins) द्वारा पहुचाई जाने वाली हानि को सबसे पहले लीवर में देखा जाता है| अफलाटोक्सिन लीवर में कैंसर करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत कम कर देते हैं| यह पोल्ट्री के फीड के ज़रिये आंतो में पहुँचते हैं और फिर खून से लीवर में आ जाते हैं| लीवर अफलाटोक्सिन को न्यूट्रल / detoxify करने की कोशिश करता है और अपनी क्षमता अनुसार इन माइकोटोक्सिनस को निष्क्रिय भी करता है परन्तु जब फीड में निरंतर माइकोटोक्सिन आते रहते हैं तो लीवर उनसे लड़ने के लिए अपनी कोशिकाओं में वृद्धि करने लगता है और यह वृद्धि जल्दी ही कैंसर का रूप धारण कर लेती है जिससे लीवर की कार्य क्षमता बढ़ने के बजाये व्यापक रूप से गिर जाती है| और इससे उत्पादन कम हो जाता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) गिर जाती है और मोर्टेलिटी (mortality) बढ़ने लगती है| सबसे अधिक असर FCR पर पड़ता है जो बढ़ने लगता है|
यह तो सिर्फ एक उद्धरण है इसी तरह सैकड़ो विषैले पदार्थ खून से लीवर में जाते हैं जिन्हें लीवर को निष्किय करना पड़ता है| इससे आप लीवर के ऊपर कितना भार होता है इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं| शरीर में जितनी भी एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाई जाती हैं सब लीवर द्वारा निष्क्रिय की जाती हैं| यह विभिन्न हारमोंस को भी निष्क्रिय करता है और लीवर खराबी की स्थिति में हारमोंस टूट नहीं पाते
लीवर की कार्य क्षमता कम होने से क्या प्रभाव और शरीर में कार्यरत रहते हैं| लीवर की कार्य क्षमता कम होने से क्या प्रभाव होते हैं इसके लिए हमें लीवर द्वारा किये गए कार्यो को समीक्षा करनी पड़ेगी|
1. शारीरक उर्जा में लीवर का योगदान: मुर्गी के शरीर में उर्जा का एक मात्र स्रोत ग्लूकोस होता है| मक्का और अन्य अनाज के अन्दर मौजूद स्टार्च आंतो में पचकर ग्लूकोस बन जाता है जो खून द्वारा अवशोषित होकर लीवर में पहुँचता है यहाँ से ग्लूकोस शरीर की आवश्यकता अनुसार खून में आता रहता है, अतिरिक्त ग्लूकोस ग्लाइकोजन नामक पदार्थ में बदल जाता है और आवश्यकता अनुसार ग्लूकोस बनता रहता है| मुर्गी के खून में 270mg/dl ग्लूकोस होती है जबकि मनुष्यों में इसकी मात्रा 120mg/dl होती है| ग्लूकोस का लीवर में संयोजन और निर्माण उत्पादन में सबसे अहम् भूमिका निभाता है क्यूंकि ग्लूकोस से उर्जा बनती है और बिना उर्जा के सब अंग बेकार हो जाते हैं|
2. फैट के मेटाबोलिज्म में लीवर का योगदान: लीवर 3 तरह से फैट का मेटाबोलिज्म करता है पहला फीड से फैट को अवशोषित कर संरक्षण करना दूसरा नया फैट बनाना और तीसरा जमा हुए फैट को तोड़कर वापिस खून में भेजना जिससे वो विभिन्न अंगो तक पहुँचता है| तीसरे वाले कार्य को फैट मोबिलाइजेशन कहा जाता है और इस प्रक्रिया के थमने से फैटी लीवर की सम्भावना बढ़ जाती है| इस कंडीशन में खून में पर्याप्त फैट नहीं आ पाता और जो अंग उर्जा के लिए फैट पर भी निर्भर होते हैं उनकी कार्य क्षमता कम हो जाती है जैसे दिल|
3. लीवर में प्रोटीन उत्पादन: एल्ब्यूमिन सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन है जिसे जो लीवर में बनता है यह प्रोटीन खून का एक अहम् हिस्सा होता है जो खून में पानी को रोक कर रखता है जिससे (oncotic) प्रेशर बना रहता है| यदि लीवर में खराबी के कारण ये प्रोटीन बनना बंद हो जाये तो शरीर का पानी बहार आ जाता है पेट में भर जाता है| यह एल्ब्यूमिन अंडे का सफ़ेद हिस्सा भी बनाता है| इसी तरह कई प्रोटीन रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं और साथ ही साथ clotting factors को भी बनाता है|
जब पोल्ट्री का पोस्ट मोर्टेम किया जाता है तो सबसे पहला अंग जो शरीर खोलकर दिखता है वो लीवर होता है और लीवर को देखकर बीमारी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है| यहाँ हम विभिन्न बीमारियों के बारे में बात करेंगे जिनमे लीवर मुख्य तौर पर प्रभावित होता है ऐसा नहीं है की इन बिमारियों में केवल लीवर ही प्रभावित होता हो इसलिए सम्पूर्ण डायग्नोसिस (diagnosis) के लिए बीमारी के लक्षणों और अन्य अंगो को भी देखा जाता है|