Equipment to be used in Poultry Farming
ड्रिंकिंग सिस्टम (पानी के ऑटोमॅटिक उपकरण की प्रणाली)
बैल ड्रिंकर – ओपन ड्रिंकिंग सिस्टम (चित्र BA)
- पहले दिन से दसवे दिन तक प्रत्येक 1000 चूज़ो पर कम से कम 16 से 20 मिनी चिक ड्रिंकर या 40cm व्यास वाले 6 बैल ड्रिंकर लगाने चाहिए और यदि गर्मी अधिक हो तो साथ में 6 मिनी चिक ड्रिंकर भी लगा दें
- जैसे जैसे ब्रॉयलर बड़े होते हैं वैसे वैसे पुराने चिक ड्रिंकर को बैल ड्रिंकर से बदलना पड़ता है, प्रत्येक 70 ब्रॉयलर पर 1 बैल ड्रिंकर लगाया जाता है.
- ये उपकरण उचित दूरी पर लगाने चाहिए, जिससे मुर्गी को पानी पीने के लिए 8 फीट से अधिक ना चलना पड़े
- इन ड्रिंकर्स की उँचाई को रोज़ देखना चाहिए, और उँचाई ऐसी होनी चाहिए जिसमे ड्रिंकर की तली मुर्गी की पीठ के बराबर हो. इससे पानी बीट से गंदा नही होता और स्वच्छता बनी रहेगी|
- पानी का सही स्तर बनाकर रखना पड़ता है नही तो पानी ड्रिंकर से छलक कर बहार आ जाता है और लिट्टर को गीला करके बीमारी फैलता है.
- ड्रिंकर्स को रोज़ाना या हफ्ते में कम से कम तीन बार किसी अच्छे सॅनिटाइज़र से साफ करना चाहिए, और टीकाकरण वाले दिन सॅनिटाइज़र को नही इस्तेमाल करना चाहिए.
निप्पल ड्रिंकिंग सिस्टम – क्लोज़्ड ड्रिंकिंग सिस्टम (चित्र BB)
- निप्पल ड्रिंकिंग सिस्टम बैल ड्रिंकिंग से अच्छे होते है क्यूंकि इसमे पानी का संक्रमण सबसे कम होता है, पानी बर्बाद नही होता, पानी बहार लिट्टर पर नही बिखरता और रोज़ रोज़ पाइप और निप्पल को साफ करने की ज़रूरत नही पड़ती.
- निप्पल को चूज़ो की उँचाई पर फिट करना पड़ता है और नियमित पानी का दबाव बना कर रखना पड़ता है.
- इसके लिए ऐसा हिसाब बनाना पड़ता है जिससे चूज़े के पैर ज़मीन पर सीधे रहें और चोंच आसानी से निप्पल के पॉइंट पर पहुँच जाये | इसके लिए ज़मीन की सतह और चूज़े की पीठ के बीच 35° से 45° का कोण बनता है |
- एक निप्पल 10 से 12 मुर्गियों के लिए काफ़ी रहता है.
- इस बात का ध्यान रखना चाहिए की सभी निप्पल सही से काम कर रहे हो.
- निप्पल की पाइप लाइन की संख्या इस बात पर निर्भर करती है की फार्म की चौड़ाई कितनी है और मुर्गियों की संख्या कितनी है.
- लेकिन आमतौर पर हर 10 फीट पर एक लाइन लगाई जाती है.
पानी स्रोत और भंडारण टैंक
पानी को अमूमन बोर वैल, खुले कुएँ से या नहर से प्राप्त किया जाता है| नहर या दरया के पानी को पहले अच्छे से साफ करना पड़ता है| टैंक के साइज़ का निर्धारण पानी की कुल माँग के हिसाब से किया जाता है| विभिन्न ज़रूरते जैसे पीने के लिए पानी, साफ सफाई के लिए, फॉगर्स के लिए, फार्म के बहार गाडियो के पहिए और पैर को दवाई के पानी में धोने के लिए आदि|
एक बड़ा टैंक होने के साथ साथ कुछ छोटे टैंक भी होने चाहिए जिनसे हर एक शैड की 24 घंटे के पानी की आपूर्ति की जा सके, यदि दो टैंक रखें जाएँ तो रोज़ाना साफ सफाई में आसानी रहती है|
फीडिंग उपकरण
हाथ से भरे जाने वाले लाइन फीडर या लटकाने वाले फीडर या और किसी तरह के भी फीडर हो पर सबसे महत्वपूर्ण बात फीडर में पर्याप्त जगह की है| यदि मुर्गी को खाने के लिए पर्याप्त जगह नही मिलती तो उसकी वृद्धिदर कम हो जाती है और फ्लॉक में असमानता बढ़ती है| फीड हमेशा मुर्गी की पहुँच में होना चाहिए जिससे वो उतना फीड खा ले जितना हमारा लक्षय होता है| यदि ऐसा होता है तभी मुर्गियां उस वज़न को पहुँच पाती है जिसके लिए उन्हे पाला जाता है|
ट्र्फ फीडर (चित्र BC)
प्रत्येक 1000 मुर्गियों के लिए 25 से 30 ट्र्फ फीडर की आवश्यकता होती है जिनमे प्रत्येक की लंबाई 5 फीट या 1.5 मीटर होती है| इस फीडर के उपर एक जाली फिट की जाती है जिसमे से मुर्गी अपनी गर्दन डाल कर दाना खाती है, जैसे जैसे मुर्गी की आयु बढ़ती है इसकी उँचाई भी बढ़ायी जाती है जिससे फीड लिट्टर के पड़ने गंदा नही होता|
फीडर की जगह का निर्धारण
- 1 से 14 दिन के चूज़ो के लिए – 2 इंच या 5 सेंटीमीटर प्रत्येक चूज़ा
- 15 से 35 दिन की मुर्गियों के लिए – 3 इंच या 7.5सेंटीमीटर प्रत्येक मुर्गी
- 36 दिन से बेचने के दिन तक – 4 इंच या 10 सेंटीमीटर प्रत्येक मुर्गी
जब मुर्गी के लिए फीडर में जगह का निर्धारण करें तो फीडर की दोनो साइड की लंबाई को गिनना चाहिए.
हॅंगिंग हॉपर (चित्र BD)
हॅंगिंग फीडर प्लास्टिक के बने हुए फीडर होते हैं जो अलग अलग क्षमता में मिलते हैं इनका साइज़ 5 से 12kg तक होता है| ये फीडर दूसरे हफ्ते से अंत तक लगाए जाते है, एक हॅंगिंग फीडर 50 मुर्गियों के लिए काफ़ी होता है| चूज़ो को फीडर की प्लेट में दाना दिया जाता है|
हीटिंग सिस्टम (तापमान गरम बनाए रखने के उपकरण)
मुर्गियों की उत्त्तम उत्पादकता बनाए रखने के लिए उचित तापमान का होना बहुत ज़रूरी होता है, तापमान का उपर नीचे होना मुर्गियों के स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है क्यूंकी उससे मुर्गियों पर काफ़ी स्ट्रैस पड़ती है| इसीलिए तापमान को बनाए रखने के लिए विभिन्न उपकरण आते हैं|
ताप के स्रोत
1. बिजली से होने वाली ब्रूडिंग
2. गॅस से होने वाली ब्रूडिंग
3. कोयले से होने वाली ब्रूडिंग
मौसम, जगह और फार्म की बनावट को ध्यान में रखते हुए अलग अलग किस्म की ब्रूडिंग होती है|
• सर्दियो में – फार्म के एक तिहाई हिस्से में ब्रूडिंग होनी चाहिए
• गर्मियों में – फार्म के आधे हिस्से में ब्रूडिंग होनी चाहिए
ये बात सही है की ताप को बना के रखना चाहिए परंतु इसके लिए हवा के बहाव (वेंटीलेशन) से समझोता नही करना चाहिए| इस बात को ध्यान में रखते हुए की ब्रॉयलर चूज़े बहुत तेज़ी से बढ़ते हैं, इसका खास ध्यान रखना चाहिए की फार्म में उचित हवा का बहाव बना रहे जिससे चूज़ो को हानिकारक गैसो से रहात मिले और भरपूर ऑक्सिजन मिलती रहे| तापमान को मापने के लिए फार्म में चूज़ो की उँचाई पर रूम थर्मामीटर लगाकर रखना चाहिए|
गैस ब्रूडिंग
बिजली या कोयले से चलने वाले ब्रूडर के बनिज़बत एल.पी.जी द्वारा चलने वाले ब्रूडर सबसे उपयुक्त और एक सा ताप पैदा करते हैं| रेडियंट गैस ब्रूडर ऐसा ताप पैदा करते हैं जो चूज़ो के लिए आरामदायक होता है| इससे ग्रोथ सही से होती है और वज़न भी तेज़ी से बढ़ता है| इन ब्रूड्र्स को केंद्रीय संचालक से कंट्रोल किया जा सकता है या फिर हर एक ब्रूडर को अलग अलग भी संचालित किया जा सकता है| इस बात का ध्यान रखें की ब्रूडिंग सिस्टम में तापमान नियंत्रक लगा होना चाहिए| इससे उर्जा भी बचती है और उपयुक्त तापमान भी बना रहता है|
इंफ़्रा रेड रेडियंट ब्रूडर
यह 90cm से 130cm तक की उँचाई पर लगाया जाता है| कितने ब्रूडर चाहिए और कैसे लगने हैं ये बात उनकी बनावट, आकार और उर्जा की खपत पर निर्भर करती है इसलिए सप्लाइयर के स्पेसिफिकेशन ज़रूर देखें| ये भी ज़रूरी है की आपके ब्रूडर पर उर्जा खपत BTU या KW में दर्ज हो, और गैस का परिचालन दाब भी लिखा हो| हमेशा अच्छी क्वालिटी के ब्रूडर ही लगाने चाहिए| चूज़ो के आने से पहले यह सुनिश्चित कर लें की आवश्यकता अनुसार भरे हुए सिलेंडर आपके पास मौजूद हैं| पहले दिन तापमान को 32 से 34 डिग्री सेल्सियस तक रखें| यह तापमान गैस ब्रूडर में लगे संवेदक से नियंत्रित हो जाता है|
- जो किसी अंधे व्यक्ति को 40 कदम चलने में मदद करता है तो उसके सारे पिछले गुनाह माफ़ हो जायेंगे
- व्यक्ति के 3 पिता होते हैं – एक स्वंय का पिता, एक पत्नी का पिता और तीसरा वो जो व्यक्ति को पढ़ाये
- यतीम (जिसके पिता मर गए हों) के लिए रहम दिल बाप की तरह बनो और ये यकीन रखो जैसा बोओगे वैसा काटोगे|
– हज़रत मुहम्मद (सo)