चीन ने 2017 में दुनिया के सबसे खतरनाक वाइरसों को स्टडी करने के लिए वुहान शहर में एक लैब का निर्माण किया। अमेरिका के विशेषग्यों ने उस समय यह चेतावनी दी थी कि यह वायरस लैब से लीक होकर आस पास के क्षेत्र में फैल सकते हैं जहाँ से इस समय कोरोना वायरस निकला है।
वुहान नेशनल बायोसेक्युरिटी लैब एकलौती चीनी लैब है जहां चीन में सार्स (SARS) और एबोला (EBOLA) जैसे खतरनाक वायरस पर स्टडी की जा सकती है।
इस लैब के खुलने से पहले बायो सेफ्टी एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी जारी की थी कि वायरस लैब से निकल कर महा मारी फैला सकते हैं। जैसे 2004 में सार्स वायरस बीजिंग लैब से निकल कर चीन में फैल गया था।
इस समय विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस (Corona Virus) जिसने 3000 से अधिक लोगो को इन्फेक्ट कर दिया है वो पशुओ में म्युटेट (mutate) होकर बदल गया है जिससे वो वुहान सी फ़ूड मार्किट में मनुष्यों को बीमार करने योग्य बन गया है।
2017 में एक आर्टिकल में वैज्ञानिकों ने ये चेतावनी दी थी कि लैब एनिमल्स में ये वायरस बहुत अप्रत्याशित रूप से बर्ताव करते हैं और इनपर काबू रखना कठिन हो जाता है। यह वायरस लैब से लीक होकर आस पास आम पब्लिक में फैल जाते हैं। अब तक इस वायरस से पूरी दुनिया में 3000 लोग प्रभावित हो चुके हैं जिनमे से 85 से अधिक लोगो की मृत्यु हो चुकी है।
अभी तक विज्ञान क्या जानता है इस नए प्रकार के कोरोना वायरस के बारे में?
यह क्या बीमारी है?
वैज्ञानिको ने नए प्रकार के कोरोना वायरस का पता लगाया है| वैसे तो कई तरह के कोरोना वायरस के बारे में हम जानते हैं जिनमे से कुछ मामूली ज़ुकाम जैसी बीमारियाँ करते हैं| कुछ चमगादड़ो, ऊंटों, मुर्गियों और दूसरे जानवरों में मिलते हैं जो की विकसित होकर मनुष्यों में बहुत घातक बीमारियाँ करने की क्षमता रखते हैं जैसे SARS (Severe Acute Respiratory Syndrome) या MERS (Middle Eastern Respiratory Syndrome).
इसे कोरोना वायरस क्यों कहते हैं?
कोरोना लैटिन भाषा से लिया गया शब्द है जिसका अर्थ होता है ताज या मुकुट| क्यूंकि माइक्रोस्कोप के अन्दर कोरोना वायरस ताज या मुकुट जैसा दिखाई पड़ता है इसलिए इसे कोरोना कहते हैं|
नया कोरोना वायरस कब पाया गया?
यह महा मारी पिछले महीने के आखिर में (Dec, 2019) चाइना के वुहान शहर से फैलनी शुरू हुई जिसका मुख्य केंद्र हुनान सीफ़ूड मार्किट बताया जा रहा है|
इससे कितने लोग प्रभावित हैं और इसका फैलाव कितना है?
इससे अबतक लगभग 3000 से अधिक लोग दुनिया भर में प्रभावित हो चुके हैं जिसमे अधिकतर चीन में हैं और 85 से अधिक लोगो की मौत हो चुकी है|
यह कैसे फैलता है?
ऐसा माना जा रहा है की यह हुनान सी फ़ूड मार्किट में जानवरों से इंसानों में आया है और उसके बाद इंसानों से इंसानों में फैल रहा है| यह बीमार लोगो के छींकने, खांसने, और बीमार लोगो को छूने से भी फैल रहा है|
क्या यह सार्स से भी अधिक खतरनाक बीमारी है?
यह माना जा रहा है की यह सार्स से अधिक जटिल और खतरनाक बिमारी है, सार्स का वायरस तभी फैलता था जब व्यक्ति में उसके लक्षण दिखाई देने लगते थे परन्तु कोरोना वायरस अपने 14 दिन के इन्क्यूबेशन समय में भी फैलने की क्षमता रखता है जब कोई लक्षण दिखाई नहीं देते| 2004 में सार्स से चीन में लगभग 800 लोगो की मृत्यु हुई थी|
डॉ गुआन जो की चीन के जाने माने वायरस एक्सपर्ट हैं और उन्होंने 2004 में सार्स महामारी से निपटने में अहम् भूमिका निभाई थी वो भी इस वायरस की क्षमता से डरे हुए हैं| डेली मेल को दिए गए अपने इंटरव्यू में डॉ गुआन ने कहा की मैंने कई भयानक वायरस देखे हैं लेकिन मुझे डर नहीं लगा, ज़्यादातर काबू में आ जाते हैं, परतु इस बार मैं डरा हुआ हूँ (I have experienced so much and never felt scared. Most [viruses] are controllable, but this time I am scared,’ Dr Guan told the press, predicting the worst is yet to come.)
टिम ट्रेवॉन जो कि मेरीलैंड के बायो सेफ्टी एक्सपर्ट हैं उन्होंने यह लैब शुरू होते समय नेचर मैगज़ीन में ये आगाह किया था कि जिस प्रकार का कल्चर चीन में है वह चिंताजनक है, वहां आम तौर से बात करने पर प्रतिबंध और जानकारी को साझा करने पर रोक है ऐसे में दुविधायें और बढ़ जातीं हैं।
नेचर ने यह भी लिखा कि सार्स वायरस भी बीजिंग की लैब फैसिलिटी से कई बार लीक हो चुका है।
वुहान नेशनल बायो सेफ्टी लैब हुनान सी फ़ूड मार्किट से सिर्फ 20 मील की दूरी पर है। कुछ लोगो को यह लग सकता है कि यह सिर्फ इत्तेफाक होगा परंतु जानकार बताते हैं कि कोरोना वायरस का RNA जानवरो में जाकर म्युटेट हुआ (बदल गया) और एनिमल मार्किट में लोगो के कॉन्टैक्ट में आया और फैल गया। कोरोना वायरस एक RNA वायरस है और RNA वायरस में म्युटेशन की संभावना बहुत अधिक रहती है जिससे वो बदल कर और घातक हो जाते हैं।
एक और समाचार एजेंसी मिरर के अनुसार अबतक 3000 लोग इस वायरस से ग्रसित हो चुके हैं और एक्सपर्ट इस वायरस की उत्पत्ति का स्रोत खोजने की कोशिश कर रहे हैं। कई का कहना है कि निमोनिया जैसे लक्षण वाली बीमारियों की वजह अक्सर ज़िंदा जानवरो के खाने से जुड़ी पाई गई है। इससे पहले चीन में सार्स का फैलना और एबोला वायरस भी इसी प्रकार के लक्षण प्रदर्शित करते हैं।
चीन के यांजोंग हुआंग जो कि पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट हैं अपने टाइम मैगज़ीन को दिए एक इंटरव्यू में बताते हैं कि चीनी लोग किसी भी जिंदा चीज़ को खाना पसंद करते हैं और ये इनकी सभ्यता (कल्चर) का हिस्सा है।
इसी तरह से वैट मार्किट जहां ज़िंदा जानवर बिकते हैं वो भी इस कोरोना वायरस आउट ब्रेक के लिए काफी हद तक ज़िम्मेदार हैं। ऐसी जगहों पर जंगली जानवरों के पिशाब, मल और खून एक जगह मिल जाते हैं और वो वायरस को जीवित रखने और फैलने में अहम भूमिका निभाते हैं।
एक और थ्योरी जो किसी भी वायरस आउट ब्रेक के समय दी जाती है वो है स्वाइन मिक्सिंग वैसल थ्योरी। इसका मतलब यह है कि सुवर एक माध्यम की तरह काम करता है जिसमे यह पशु अन्य जानवरों की उन बीमारियों के वाईरसों को ग्रहण करके बदलने की क्षमता रखता है जो आम तौर से इंसानो में बीमारी नही करते। सुवर के शरीर मे आकर यह वायरस म्युटेट करते हैं और वहां से मनुष्यों में फैल जाते हैं। इसमें यह है कि जिन जगहों पर सुवर अधिक तादाद में पाले और खाये जाते हैं वहां वो वायरस जो सिर्फ़ जानवरो में पाए जाते हैं और मनुष्यों को नुकसान नही करते वे सुवर में आकर अपने आप को बदल लेते हैं अर्थात म्युटेट कर लेते हैं। फिर सुवरों से यह बीमारियां इंसानो में प्रवेश कर जाती हैं और एक बार इंसानो में आकर इन वाईरसों को ज़िंदा रहने के लिए सुवर की आवश्यकता नही रहती जैसे स्वाइन फ्लू वायरस।
इसका वैज्ञानिक तर्क यह है कि सुवर और इंसानो में और जानवरों की बनिस्बत बहुत अधिक एन्टीजेनिक सिमिलैरिटी देखी गयी है मतलब सुवर और इंसान के शरीर के प्रोटीन एक जैसे होते हैं या ये कहें कि उनमे समानता बहुत अधिक होती हैं इससे सुवरों की बीमारिया आसानी से इंसानो में प्रवेश कर जाती हैं और आक्रामक रूप से फैलती हैं। इसी एन्टीजेनिक सिमिलैरिटी की वजह से आजकल इंसानो के लिए सुवरों में अंग उत्पादन किया जा रहा है क्योंकि सुवर के अंगों को मनुष्य का इम्यून सिस्टम अन्य जानवरो की तुलना में सबसे कम रिजेक्ट करता है। यह बात बताने की आवश्यकता नही है की चीन सुवर उत्पादन में दुनिया में नंबर एक पर है और यह उत्पादन अभी बढ़ ही रहा है। चीन में इसके अंगों की खेती भी की जाती है।
वुहान बायो सेफ्टी लैब वुहान वाईरोलॉजी संस्थान के अंतर्गत बनाई गई है यह 2015 में बननी शुरू हुई जिसमें अब तक काम चल रहा है परंतु 2017 में ही इसका उद्घाटन कर दिया गया था। यह चीन की पहली BSL4 बायो सिक्योरिटी लेवल 4 लैब है, जो कि सबसे अधिक बायो हज़ार्ड लेवल होता है और इन लैब्स को दुनिया के सिर्फ सबसे खतरनाक वाइरसों से डील करने के लिए बनाया जाता है।
BSL4 लैब में विशेष प्रकार के कपड़े पहन कर काम किया जाता है जिन्हें एयर टाइट हैज़ मैट सूट कहा जाता है और इन लैब्स में वायरस और बैक्टीरिया पे काम करने के लिए विशेष कैबिनेट होते हैं। कैबिनेट से हवा के ज़रिए वायरस सील्ड डब्बो में पहुंचने का डर रहता है जहां से वो वैज्ञानिकों के हाई ग्रेड दास्तानों में पहुंचने की क्षमता रखता है और ज़रा सी लापरवाही जान माल के इतने बड़े नुकसान कर सकती है जिन्हें सोचा भी नही जा सकता।
दुनिया मे केवल 54 BSL4 लैब हैं और चीन की पहली वुहान बायो सेफ्टी लैब है। भारत मे भी भोपाल स्थित हाई सेफ्टी लैब, BSL4 लैब है जहाँ बर्ड फ्लू आदि पर काम किया जाता है।
जब वुहान लैब को खोला गया था तो उसमें जिस प्रोजेक्ट को किया जाना था उसके लिए BSL3 लेवल की लैब काफी थी, वह प्रोजेक्ट, पिस्सू के काटने से होने वाली वायरल बीमारी क्रिमन कांगो हेमोरेजिक फीवर, पर था। यह बहुत घातक बीमारी होती है और इससे ग्रसित लोगो में मृत्यु दर 40% तक हो जाती है।
लैब के डायरेक्टर युआन ज़हीमीन का कहना है कि उन्होंने सार्स वायरस पर अध्यन करने के लिए इस लैब का निर्माण किया था और सार्स भी BSL3 लेवल का वायरस है।
2004 में सार्स वायरस के लीक के बाद चीन के वैज्ञानिको ने उस लैब की सेफ्टी के लिए कड़े कदम उठाये लेकिन ऐसे घटक वायरस पर अपना काम नहीं रोका| 2004 के बाद चीन स्वास्थ्य मंत्रालय ने नयी लैब बनाने का निश्चय किया जिनकी सुरक्षा अधिक थी और उनमे सभी घातक वायरस पर अध्यन किया जा सके| अभी तक यह नहीं पता की ये लैब कहाँ हैं|
वुहान लैब में एनिमल रिसर्च भी की जाती है| विशेषग्य बताते हैं की ऐसे सेटअप वैक्सीन और इलाज तैयार करने के लिए इस्तेमाल होते हैं|
जानवरों पर रिसर्च करने के लिए बहुत कड़े बायो सेफ्टी अधिनियम होते हैं खासकर जब जानवर प्राइमेट यानि बन्दर या चिंपांज़ी हों| ये अधिनियम चीन में बहुत हलके हैं जिसका मतलब यह है की इस तरह की रिसर्च चीन में बहुत सस्ते में हो जाती हैं परन्तु इन रेसेअर्चों में लापरवाही के परिणाम बड़े घातक होते हैं, जैसा की कोरोना वायरस इस आउट ब्रेक में देखने को मिला|
2019 nCoV (नया कोरोना वायरस) पर अध्यन करने के लिए और और उसका इलाज और वैक्सीन बनाने के लिए बंदरो और चिम्पंज़ियों को इन्फेक्ट करना अनिवार्य होता है और ऐसे में कौन सा वायरस म्युटेट होकर क्या बन जाये कहा नहीं जा सकता|
चीन विश्व पर अपनी प्रभुत्वता जमाने के लिए जिस राजनितिक विचारधारा का समर्थन करता है और जो नीतियाँ अपनाता है उसने पूरी मानवजाति को खतरे में डाल दिया है, उन सब जानवरों को चीन में खाया जाता है जो शायद जानवर भी नहीं खाते| एटम बम शायद इतना खतरनाक नहीं जितना खतरनाक म्युटेट हुआ वायरस हो सकता है|