डेरी पशुओं को दिए जाने वाली डाइट का आंकलन (to read this article in english click here)
हमारे डेरी किसान भाई अपने पशुओं को दाना चारा विभिन्न पद्धतियों द्वारा खिलाते हैं जैसे कुछ टी.एम्.आर के रूप में देते हैं कुछ हरा चारा और भूसा मिला कर देते हैं लेकिन कंसन्ट्रेट दाना अलग से देते हैं कुछ लोग सभी कुछ अलग अलग देते हैं, यह कई बार ज़रूरी हो जाता है की हम पशु को दिए जाने वाले कुल फीड का आंकलन करें की जो फीड हम दे रहे हैं वो पशु के दूध उत्पादन के हिसाब से ठीक है या नहीं, दूध उत्पादन प्रति महीना किस दर से कम हो रहा है और पशु का प्रदर्शन के अन्य सूचकांक किस तरह से बदल रहे हैं जैसे बॉडी कंडीशन, वज़न और फर्टिलिटी हमारे अपेक्षाओं के अंतर्गत है या नहीं|
यहाँ पर हम एक उदहारण देखेंगे, एक एच.एफ गाय जिसका वज़न 600किलो है और औसत उत्पादन 27किलो प्रति दिन है| इस गाय को औसत दर्जे का ग्रास सायिलेज दिया जाता है जिसे वो इच्छा अनुसार कितना भी खा सकती है उसके अलावा 3 किलो सूखी घांस और 10 किलो दूध के अधिक दूध पर 400ग्राम कंसन्ट्रेट दिया जाता है जो की लगभग 6.8 किलो होता है|
विभिन्न NRC और फीडिंग स्टैण्डर्ड के मानको के हिसाब से हम ड्राई मत्तेर इन्टेक का आंकलन करते हैं जो की 3% बॉडी वेट पर कैलकुलेट किया जाता है तो 18 किलो ड्राई मैटर आता है|
कंसन्ट्रेट में 90%, सूखी घांस में 85% और सायिलेज में 35% ड्राई मैटर होता है| यदि हम ऊपर दिए गए टेबल को ध्यान से देखें तो हमारे पशु को एनर्जी तो पर्याप्त मिल रही है लेकिन मेटाबोलायीज़ेबल प्रोटीन थोड़ा सा कम है, हालाँकि इतना कम नहीं है की पशु की परफॉरमेंस को प्रभावित करे| इस कैलकुलेशन में रुमेन में डीग्रेड (डाइजेस्ट) होने वाले प्रोटीन से लगभग 64% मेटाबोलायीज़ेबल प्रोटीन बनता है मतलब 1752ग्राम ERDP (इफेक्टिव रुमेन डिग्रेडेबल प्रोटीन) से 1120ग्राम मेटाबोलायीज़ेबल प्रोटीन बनता है और 524ग्राम DUP (बाईपास प्रोटीन) के साथ मिलकर मेटाबोलायीज़ेबल प्रोटीन की आवश्यकता पूरी हो जाती है|
अब यहाँ 3 प्रशन उठते हैं
पहला ये की क्या हमारे पशु इस राशन पर इस दूध उत्पादन को बनाये रख सकते हैं
क्या वो और बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं
क्या हम फीड को और सस्ता कर सकते हैं
पहला ये की क्या हमारे पशु इस राशन पर इस दूध उत्पादन को बनाये रख सकते हैं
पहले सवाल का जवाब है हाँ, पशु का उत्पादन इस फीड पर बना रह सकता है लेकिन अगर इस फीड उत्पादन बनाये रखने के दिक्कत हो रही है तो सबसे पहले हमें सायिलेज का आकंलन करने की आवश्यकता होगी क्यूंकि या तो हमने ग्रास सायिलेज के पोषण को अधिक मान लिया है या फिर पशु उतना सायिलेज नहीं ले रहा जितना उसे लेना चाहिए या उसका ड्राई मैटर कम है या सायिलेज का स्वाद ठीक नहीं है या फिर सभी कुछ है|
दूसरा सवाल उठता है की क्या पशु और अच्छा कर सकते हैं –
तो यहाँ हम कह सकते हैं की हाँ हमारे पशु में उत्पादन को बढ़ाने की कुछ क्षमता हो सकती है और अल्पकालिक तौर पर फीड में मेटाबोलायीज़ेबल प्रोटीन बढ़ाकर दूध को बढ़ाया जा सकता है| क्यूंकि हम जानते हैं की राशन में प्रोटीन को पूर्ति बिलकुल किनारे पर है, जो की वर्तमान दूध के लिए तो काफी है लेकिन बढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं है इसलिए हम अपेक्षा करते हैं की मेटाबोलायीज़ेबल प्रोटीन बढ़ाने से दूध उत्पदन बढ़ सकता है परन्तु यहाँ एक समस्या कड़ी हो सकती है वो है एनर्जी की क्यूंकि जब मेटाबोलायीज़ेबल प्रोटीन बढ़ाने पर दूध बढेगा तो उसे अतिरिक्त एनर्जी की आवश्यकता होगी और यदि वो मेटाबोलायीज़ेबल एनर्जी पशु को नहीं मिली तो वो अपना वज़न गिराने लगेगा और बॉडी कंडीशन कम हो जाएगी, अधिक प्रोटीन ब्लड यूरिया नाइट्रोजन का बढ़ा देगा और एनर्जी के अभाव में फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ेगा| इसमें सबसे अच्छा तरीका होता है कंसन्ट्रेट फीड की क्वालिटी को बढ़ाना और उसमे नियासिन और कोलिन जैसे एडीटिव का इस्तेमाल|
क्या हम फीड को और सस्ता कर सकते हैं
तीसरा सवाल काफी व्यक्तिगत है और इसका जवाब आसान नहीं है क्यूंकि भारत में फीड कास्ट फीड की क्वालिटी पर निर्भर करती है और दूसरा जो लोग बहार से बना बनाया फीड लेते हैं उनको क्वालिटी और कास्ट दोनों एक दायरे में लाना बहुत मुश्किल होता है| जो लोग वॉल्यूम में अलग अलग इंग्रीडीएंट खरीदते है और अपना फीड खुद बनाते हैं उनके लिए कोई भी बदलाव आसान भी होता है और सस्ता भी, तो किसी भी स्टेज पर फीडिंग को अनुकूलतम (optimum) रखना सबसे अच्छा आप्शन होता है ऐसे में फीड सस्ता करने का स्कोप बन जाता है बशर्ते हमारा पशु अच्छी बॉडी कंडीशन में हो!
दूसरे लिंक
Dudh Dhara – Specially Designed Milk Production Booster
ProbioTek – Helps in early rumen development in calves & prevention of diarrhea associated mortality